शनिवार, 22 अगस्त 2015

अनहद नाद

ज्ञान की चरमावस्था मौन है।
मौन में शब्द नहीं होता नाद होता है।
शब्द में ध्वनि होती है नाद में व्याप्ति।
यह व्याप्ति जब अव्याप्ति में बदलती है तब नाद अनहद हो जाता है और आदमी कबीर।
अनहद के ऊपर प्रेम होता है - - - एकै अषिर पीव का कहते हैं कबीर। इसलिए प्रेम ही सबसे बड़ा गुरु है सबसे बड़ा पाठ!

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