ज्ञान की चरमावस्था मौन है।
मौन में शब्द नहीं होता नाद होता है।
शब्द में ध्वनि होती है नाद में व्याप्ति।
यह व्याप्ति जब अव्याप्ति में बदलती है तब नाद अनहद हो जाता है और आदमी कबीर।
अनहद के ऊपर प्रेम होता है - - - एकै अषिर पीव का कहते हैं कबीर। इसलिए प्रेम ही सबसे बड़ा गुरु है सबसे बड़ा पाठ!
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शनिवार, 22 अगस्त 2015
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