गुरुवार, 20 अगस्त 2015

लग गई बोली

जनतंत्र की ये हँसी ठिठोली!
लो बिहार की लग गई बोली!
आये लेकर भरी हवाई झोली!
हँसकर धीरे-से मुट्ठी खोली!

ये बिहार है और जनता है भोली
पैसे से मिलती नहीं यहाँ रंगोली
जयकारे में मगन मूर्खों की टोली
काशी अब कोशी ने सुनी ठिठोली

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