मातृत्व की संभावनाओं से समृद्ध होने के कारण
औरत की सामाजिक समझदारी मर्दों के मुकाबिले कहीं अधिक होती है
किसी औरत में मातृत्व की संभावनाओं के प्रकट होते ही
औरत के खून का नमक नृत्य में तब्दिल होने लगता है
और आँख के नींबू में थरथराने लगती है नई हलचल
किसी औरत में मातृत्व की संभावनाओं के प्रकट होते ही
बदलने लगती है आकृति और थोड़ी-सी पृथ्वी और इक जरा-सी प्रकृति भी
नमक के नृत्य और नींबू की थरथराहट में औरत का तब्दिल होना
उफ्फ! इस तब्दिल होने को समझना मुश्किल नहीं ना-मुमकीन होता है
पुरुष पदार्थ स्त्री तत्त्व को समझने में ना-काम ठहरता है
गृह निष्कासन के ठीक बाद इसे सीता में सुगबुगाते हुए बाल्मीकि ने देखा
दुष्यंत की तलाश में आश्रम से बाहर श्लथ पग धरते शकुंतला में कालिदास ने देखा
गोबर के चिनगारी छोड़कर भाग खड़े होने के बाद धनिया में होरी ने देखा
देखा, नमक के नृत्य और नींबू की थरथराहट में औरत का तब्दिल होना देखा
देखा मगर, बहुत करीब जाकर भी कहाँ समझ पाये!
देखने के बाद भी, हम कहाँ देख पाते हैं माँ का चेहरा
बहुत करीब जाकर कभी देखा भी, तो कहाँ समझ पाये होते हैं!
वर्षों पहले नमक के नृत्य और नींबू की थरथराहट में
बदली उस आकृति और थोड़ी-सी पृथ्वी और इक जरा-सी प्रकृति को ही
कुछ इस तरह पुरुष पदार्थ स्त्री तत्त्व को समझने में ना-काम रहता है कि
देखने के बाद भी हम कहाँ देख पाते हैं माँ का चेहरा
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