बुधवार, 21 अक्टूबर 2015

पता नहीं देश चल रहा कि जल रहा है


सब कुछ सुरक्षित है अपनी जगह पूजा पाठ और ध्यान
व्यवस्था अवस्था संविधान शासन प्रशासन योगासन
जिस से भी चलता है देश
हाँ सभी मर्माहत हैं दुखी, उदास और परेशान
हर किसी के पास इस के लिए अपने-अपने कारण हैं

अपने-अपने कारणों और तरीकों से
दुखी उदास और परेशान होने का
मौलिक अधिकार हर किसी के पास है
हर कोई अपने-अपने कारणों के साथ
अपने मौलिक अधिकार के पक्ष में है तैयार
आइये मार्यादा में रहकर चैनलों पर बहस करते हैं
और यह पहली बार नहीं हुआ है
याद है न बेलछी, बाथे गोहाना, जाने कितने और नाम हैं

और फिर उसके बाद, और फिर उसके बाद
अबकी बार सुनपेड़ गांव, होता ही रहता है सरकार
मुआवजा आश्वासन न्याय के तो हैं सब-के-सब हकदार

पता नहीं देश चल रहा है कि देश जल रहा है









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