तेरे हाथ में दस्ताना और जुबाँ पर दोस्ताना है
तेरे किरदार का कुछ तो अंदाज कातिलाना है
चोट हर बार बेशक नई से नई किस्सा तो पुराना है
थैली में विष तो मुट्ठी में हँसता हुआ हर्जाना है
शर्म आती बहुत जो यह सलूक बहुत बहशियाना है
जुल्म, जुमला, जुर्म को जो कहता करतूत मर्दाना है
दर्द तेरा हो कि मेरा हो प्रेमचंदी निगाह में सारा जमाना है
बिगाड़ के डर से ईमान की बात जानता हर कोई छिपाना है
हालात ऐसे कि आवाम बे-कदर अपने ही गम से बेगाना है
मेरी जान सच मान हँसी तेरी अब भी खुशी का खजाना है
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