खतरनाक इरादा
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अलकायदा का खतरनाक इरादा सामने आया है। खतरनाक यह कि
अलकायदा ने एक खास समुदाय से जुड़े भारतवासियों की हिफाजत के बहाने अपने इरादे को
जाहिर किया है। भारत का राष्ट्रीय ताना-बाना बहुत ही संवेदनशील है। इस तरह की बात से
भारत के राष्ट्रीय तानेबाने पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है। विकास और आंतरिक
संतुलन भारत के लिए पहले से ही बहुत कठिन चुनौती है। इस कठिन समय में इस तरह के
इरादों के बुरे असर से अपने समाज और राष्ट्र को बचाना हमारा नागरिक दायित्व है।
भारत में रहनेवाले
समुदायों के बीच गलतफहमियों, नासमझियों की चाहे जैसी भी स्थिति
हो लेकिन यह बुनियादी समझ हर सही नागरिक के मन में सक्रिय है कि यह हमारा वतन है
और इसमें शांति, सुरक्षा और संतुलन को सुनिश्चित करना हमारा आंतरिक
मामला है। हम जब किसी बात के लिए अपनी जनतांत्रिक सरकारों की आलोचना करते हैं,
उससे असहमत होते हैं तो इसका उद्देश्य और इसमें निहित भावना तथा
इसमें सक्रिय विचार अपनी जनतांत्रिक सरकारों को कमजोर करना या अपने समाज को उपद्रव
और राष्ट्र को तहनहस की तरफ ले जाने का नहीं होता है। इस अर्थ में यह अपनी जनतांत्रिक सरकारों से नागरिक के स्वस्थ संवाद का हिस्सा होता है।
यह भी सच है कि खुराफाती दिमाग बदनियती और बदकलामी से बाज नहीं आता। खुराफाती
दिमाग का संबंध किसी एक जमात से नहीं होता है, बल्कि यह कहना
चाहिए कि खुराफातियों की अपनी अलग ही जमात होती है।
इस तरह का वातावरण
खुराफातियों के लिए बहुत मुफीद होता है। जब मारनेवाले
और मरनेवाले की पहचान उनकी सामुदायिक पृष्ठ भूमि से
जोड़कर ही तय की जायेगी तो इस तरह के विघटनकारी प्रसंग उठेंगे ही कि खास समुदाय से
जुड़े लोगों के जानमाल को खतरा है। तर्क यह कि इसलिए उन्हें हथियार रखने की अनमति दी जाये। ये कौन लोग हैं जो इस तरह की माँग कर रहे हैं। कहना न होगा कि
इनके इरादों की तह में जाकर ही संस्कृति की रक्षा के नाम पर कोहराम मचाने के इनके
इरादे पर गोवा सरकार ने प्रतिबंध लगाया
है।
कुछ लोगों को लगता
है कि सुरक्षा की सबसे बड़ी गारंटी हथियार से ही मिलती है। ये वही लोग हैं जो
मानते हैं कि आत्मरक्षा का सबसे बेहतर उपाय आक्रमण है। आत्मरक्षा बहुत ही पवित्र अधिकार
है। इस अधिकार के बहाने, अपनी सुरक्षा के नाम पर ये किसी पर भी हमला करने की खुली
छूट चाहते हैं। ऐसे लोगों को यह याद रखना चाहिए कि हमारी नागरिक सुरक्षा की सबसे
गारंटी हमारी जनतांत्रिक सरकारें हैं। किसी स्वयंभू व्यक्ति या समूह को हमारी
नागरिक सुरक्षा की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। किसी भी कठिन समय में हमारी
जनतांत्रिक सरकार और सुरक्षा तंत्र हमें किसी भी खतरे से बचाने के लिए काफी है।
हाँ, भारत जैसे बहुजातीय राष्ट्र में हर समय समय सरकार को
बहुत ही समझदारी और संवेदनशीलता से काम लेना चाहिए, वे लेती भी रही हैं। इस समझदारी और संवेदनशीलता के साथ सरकारों को सुदृढ़ कदम उठाना चाहिए कि
नागरिकों के मन में जानमाल की सुरक्षा के मामले में सरकारों की साफ नियत को लेकर नागरिक मन में संदेह के लिए कोई जगह न हो। बाहरी और भीतरी
खुराफातियों पर लगाम कसते हुए सामुदायिक संतुलन को किसी भी असह्य आँच से बचाने के
लिए खास तौर पर सचेत रहना सरकार का प्राथमिक दायित्व है।
भारत के संदर्भ में अलकायदा
के 'कायदात अल-जेहाद' के खतरनाक इरादे
से संबंधित खबरों की सत्यता, को परखने और उसकी गतिविधियों पर
निष्पलक नजर टिकाये रखने को लेकर कोई दुविधा नहीं होनी चाहिए। सरकार की तरफ से जिस
तरह अविलंब और उपयुक्त प्रतिक्रिया सामने आई है वह भरोसा के लिए काफी है। ध्यान
में होना ही चाहिए कि सरकारों की बहुत बड़ी भूमिका तो है ही नागरिकों की भूमिका भी
अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। सरकार का काम सरकर करे, लेकिन नागरिक हैसियत से हमारा भी दायित्व
है। ऐसे माहौल में अफवाहों का बाजार बहुत गर्म हो जाता है। तरह-तरह के किस्से हवा
में उड़ाये जाते हैं। सचेत बने रहकर, आशंकित अफवाहों के दुष्प्रभाव से बचना और
बचाना किसी भी खतरनाक इरादे को ना-काम करने की दिशा में उठाया गया महत्त्वपूर्ण
नागरिक कदम होता है।
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